निम्बार्क कोट मन्दिर में आपका स्वागत है। जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है, यह निम्बार्क संप्रदाय से सम्बद्ध है और कोट का मतलब होता है किला।
यह बता दें कि निम्बार्क संप्रदाय चार मुख्य वैष्णव सम्प्रदायों में से एक है, इस संप्रदाय का एक अन्य नाम सनक संप्रदाय भी है। वैष्णव संप्रदाय व उनके अनुयायी वे है जो विष्णु या उनके अवतारों राम और कृष्ण को आपने ईष्ट के रूप में पूजने व मानने वाले है। ठीक वैसे ही जैसे महादेव जी (शंकर) की उपासना करने वाले शैव, देवी (शक्ति) को अपना ईष्ट मानने वाले शाक्त और गणेश जी की पूजा करने वाले गाणपत्य कहलाते है। बाकी के तीन वैष्णव संप्रदाय है-लक्ष्मी या श्री संप्रदाय, व्रह्म या गौडीय संप्रदाय और रुद्र या विष्णुस्वामी संप्रदाय। सम्प्रदायों के बारे में आगे के किसी ब्लॉग में विस्तार से चर्चा करेंगे।
निम्बार्क कोट में वापस लौटते है। यह मन्दिर बहुत छोटा होते हुए भी वृन्दावन में अपनी अलग पहचान रखता है। यहाँ निम्बार्क जयंती के मौके पर मनाये जाने वाले एक मासीय समारोह की बहुत ख्याति है। यह उत्सव यहाँ सन 1924 से मनाया जा रहा है। सन 1923 तक यह उत्सव प्रेम गली स्थित उत्सव कुञ्ज में मनाया जाता था। वर्ष 2023 में इस उत्सव का 180 वां आयोजन किया जा रहा है। इस उत्सव का अतिविशेष आकर्षण है वैष्णव संगीत शैली का समाज गायन।
यूँ वृन्दावन में हर घर एक मन्दिर है। निम्बार्क कोट भी उनमें से एक है। वृन्दावन में इसकी लोकेशन ढूंढ़ना बहुत आसान है। यहाँ का बनखंडी चौराहा प्रसिद्ध है, इस चौराहे से एक गली पूर्व दिशा में जाती है, इस गली में प्रवेश करते ही आपके दाहिनी ओर पांचवां दरवाजा इसी मन्दिर का है। यह इस मन्दिर का उत्तरी द्वार है। मंदिर में प्रवेश का एक दरवाजा पुराना बजाजा से भी है, यह दक्षिणी द्वार है। दक्षिणी द्वार की पहचान यह है कि इसके ठीक सामने ऋषि बाल्मीकि स्कूल और सब-स्टेशन नं ३ है। आमतौर पर इस दरवाजे के नीचे फल व सब्जी वाले बैठते है।