सोमवार, 13 दिसंबर 2010

श्री निम्बार्क आचार्य वृन्द जयन्ती महोत्सव में गाये जाने वाले पद

श्री निम्बार्क आचार्य वृन्द जयन्ती महोत्सव में गाये जाने वाले पद

कार्तिक कृष्ण द्वादशी

जय जय श्री हरिव्यास कुलभूषण
मंगल मूरति नियमानन्द
सेऊँ श्री वृन्दाविपिन बिलास
आज बधायो री हेली श्री भट्देव के
भयो लाल रसिक प्रतिपाल
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक कृद्गणा त्रियोदशी

जाको मन वृन्दा विपिन हरयौ
सहेली सुन सोहिलो
श्री हरिव्यास महाक्षिति मण्डल
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार


कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी

प्रिया मुख सुखमा दखि के
प्रिया मुख सुखमा कौ आगार
नगर में सोभा सरस सुहाई
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक अमावस्या-दीपावली

वृन्दावन इक सुन्दर जोरी
आज दीवारी की निस नीकी
विलसत आज दीवारी दंपति
आज दीपति दिबि दीपमालिका
पिया पितांबर मुरली जीती
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा

जै जै श्री निम्बार्क आचार्य
युगल किच्चोर हमारे ठाकुर
मो मन बसो युगल किशोर
सब मिली गावोरी आज बधाई
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल द्वितीया

बलि बलि श्री राधे नंद नंदन
हों बलि जाय हों आनंद
नियमानंद जगत गुरु गाइये
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल तृतीया

नैंक नैंन की कोर मोरि
आज सखी आनंद महल में
बधायो ऋषीराज के
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल चतुर्थी

बसौ मेरे नैनन में दोउ चंद
बिलसत दोउ लाड़िले
चलो सखी निम्ब ग्राम सुख लहिये
निम्बार्क दीन बन्धु सुन पुकार
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल पंचमी

श्री राधिका आज आनंद में
सहज सजन सुख बिलसहीं
निम्बग्राम में आज बधाई
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल षष्ठी

बृज भूमि मोहनी में जानी
चल सखी निम्बग्राम
दृढ़ व्रत निम्ब चन्द पद प्रेम
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल सप्तमी

आज ब्रजजन मिलि मंगल गावें
भादों सुकला अष्टमी आई
आज बधाई है बरसाने
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल अष्टमी

जै जै श्री सोभू देव
नमो नमो जै सोभू देव
गोकुल मंगल आज बधाई
महल में बाजत
सहचरि फूलि अंग न माई
लाल जू के सोहिले
बरष गाँठि मोहन की
बजत बधाई आजु भली री
आज कछु औरें ओप भई
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल नवमी

जै जै श्री गोपाल संतहित अवतरे
नमो नमो श्री हंस गोपाल
आज बधाई बजत सुहाई
श्री हंस जू के चरण कमल
जै जै सनकादि उदार
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल दशमी

देव परम धर्मादि पर रुप परमेच्च्वरम
कहा तोसों कहों मो हिय हित की बात
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल एकादशी

(श्री) राधा माधव अद्भुत जोरी
जयति श्रीमत निम्ब आदित्य प्रभु
प्यारी (जू) फूली फूल फूल सों
श्री निम्बार्क दीन बन्धु सुन
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल द्वादशी

नवल बसंत नवल श्री वृन्दावन
बिहरें श्री राधे बन बिहार
जै जै श्री निम्बादित्य आनंद मूल
खेलत बसंत (श्री) हरिव्यास देव
(किसी तिथि के घटने पर, अन्य तिथि को हो सकता है।)
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी

नव में पुंज सखिन के
करुणा सिंधु कृसोदरि
अरुण कुंवर की जन्मगाँठ सुनि
निम्बग्राम में आज बधाई
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी

जाको मन वृन्दा विपिन हरयौ
आज अमित मंगल भयो माई
आज बधाई बजत सुहाई
हमें बलि बड़ो यही है पोद्गा
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक पूर्णिमा (बढ़ी तिथि पर)

राजई समाज आज मधुप ज्यों
मेरी प्रानन की आधार
जोरी गोरी सांवरी
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

कार्तिक पूर्णिमा (निम्बार्क जयंती)

दोऊ मिलि करत भांवती बतियां
बजत बधायो री हेली
आज सखी ऋषी राज द्वार पै
(श्री) निम्बार्क निम्बार्क निम्बार्क कहो रे
श्री राधा रमण विराजैं
सेवों श्री राधा रमण उदार

निबार्क कोट की आचार्य परंपरा

निबार्क कोट की आचार्य परंपरा

1. हंस भगवान
2. सनक, सनंदन, सनातन व सनत कुमार
3. नारद भगवान
4. निबार्क भगवान
5. निवासाचार्य
6. विश्वाचार्य
7. पुरुशोत्तामाचार्य
8. विलासाचार्य
9. स्वरूपाचार्य
10. माधवाचार्य
11. बलभद्राचार्य
12. पद्माचार्य
13. श्यामाचार्य
14. गोपालाचार्य
15. कृपाचार्य
16. देवाचार्य
17. सुंदर भट्ट
18. पद्मनाभ भट्ट देवाचार्य
19. उपेंद्र भट्ट देवाचार्य
20. रामचंद्र भट्ट देवाचार्य
21. वामन भट्ट देवाचार्य
22. कृष्णभट्ट देवाचार्य
23. पद्माकर भट्ट देवाचार्य
24. वण भट्ट देवाचार्य
25. भूरि भट्ट देवाचार्य
26. माधव भट्ट देवाचार्य
27. श्याम भट्ट देवाचार्य
28. गोपाल भट्ट देवाचार्य
29. बलभद्र भट्ट देवाचार्य
30. गोपीनाथ भट्ट देवाचार्य
31. केशव भट्ट देवाचार्य
32. गांगल भट्ट देवाचार्य
33. केशव कश्मीरी भट्ट देवाचार्य
34. श्रीभट्ट देवाचार्य
35. हरिव्यास देवाचार्य
36. स्वयंभूराम देवाचार्य
37. कर्णहर देव
38. नारायण देव
39. हरिदेव
40. श्याम देव
41. श्याम दामोदर देव
42. श्रुति देव
43. सहजराम देव
44. रामदेव
45. ज्ञानदेव
46. वृंदावन देव
47. रामशरण देव
48. धर्म देव
49. सेवादास
50. स्वामी गोपालदास
51. स्वामी हंसदास
52. बाल गोविंद दास/हरिदास श्रृंगारी
53. माता श्याम प्यारी
वृन्दावन बिहारी

उत्सव में होने वाली रासलीला

उत्सव में होने वाली लीलाओं का क्रम :-
तिथि लीला
कार्तिक कृष्ण द्वादशी/धनतेरस वंशी चोरी लीला
कार्तिक कृष्ण चौदस केवट लीला
कार्तिक अमावस/दीपावली चौसर लीला
कार्तिक शुल प्रतिपदा मूदरी चोरी लीला
कार्तिक शुल द्वितीया पनघट लीला
कार्तिक शुल तृतीया ब्रह्मचारी लीला
कार्तिक शुल चतुर्थी विदुषी लीला
कार्तिक शुल पंचमी शंकर लीला
कार्तिक शुल छठी पांडे लीला
कार्तिक शुल सप्तमी राधा प्राकटय लीला
कार्तिक शुल अष्टमी/गोपाष्टमी गोचारण लीला
कार्तिक शुल नवमी/अक्षय नवमी जोगन लीला
कार्तिक शुल दशमी श्याम सगाई लीला
कार्तिक शुल एकादशी/देवउठनी एका. वरुण लीला
कार्तिक शुल द्वादशी मान लीला
कार्तिक शुल तृयोदशी गोदनावारी लीला
कार्तिक शुल चर्तुदशी माखन चोरी लीला
कार्तिक पूर्णिमा सहज सुख
अग्रहायण कृष्ण प्रतिपदा शोभायात्रा
अग्रहायण कृष्ण द्वितीया राजदान लीला

* तिथि बढ़ने की स्थिति में चंद खिलौना, मणि खंभ और सुदामा लीला भी आवश्यकता पड़ने पर होती है। अलग-अलग वर्षों में ये तीनों लीलाएं मंदिर में हो चुकी हैं।

शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

राधाकृष्ण के पहले उपासक थे निम्बार्क

आचार्य निम्बार्क

सनातन संस्कृति की आत्मा श्रीकृष्ण को उपास्य के रूप में स्थापित करने वाले निम्बार्काचार्य वैष्णवाचार्यों में प्राचीनतम माने जाते हैं। राधाकृष्ण की युगलोपासना को प्रतिष्ठापित करने वाले निम्बार्काचार्य का प्रादुर्भाव कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। भक्तों की मान्यतानुसार आचार्य निम्बार्क का आविर्भाव-काल द्वापरांत में कृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ और परीक्षित पुत्र जनमेजय के समकालीन बताया जाता है। इनके पिता अरुण ऋषि की, श्रीमद्भागवत में परीक्षित की भागवतकथा वर्णन प्रसंग सहित अनेक स्थानों पर उपस्थिति को विशेष रूप से बतलाया गया है। हालांकि आधुनिक शोधकर्ता निम्बार्क के काल को विक्रम संवत की 5वीं सदी से 12वीं सदी के बीच सिद्ध करते हैं। संप्रदाय की मान्यतानुसार इन्हें भगवान के प्रमुख आयुध 'सुदर्शन" का अवतार माना जाता है। इनका जन्म वैदुर्यपत्तन (दक्षिण काशी) में हुआ था। इनके पिता अरुण मुनि और इनकी माता का नाम जयंती था। जन्म के समय इनका नाम नियमानंद रखा गया और बाल्यकाल में ही ये ब्रज में आकर बस गए। मान्यतानुसार अपने गुरु नारद की आज्ञा से नियमानंद ने गोवर्धन की तलहटी को अपनी साधना-स्थली बनाया।बचपन से ही यह बालक बडा चमत्कारी था। एक बार गोवर्धन स्थित इनके आश्रम में एक दिवाभोजी यति (केवल दिन में भोजन करने वाला संन्यासी) आया। स्वाभाविक रूप से शास्त्र-चर्चा हुई पर इसमें काफी समय व्यतीत हो गया और सूर्यास्त हो गया। यति बिना भोजन किये जाने लगा। तब बालक नियमानंद ने नीम के वृक्ष की ओर संकेत करते हुए कहा कि अभी सूर्यास्त नहीं हुआ है, आप भोजन करके ही जाएं। लेकिन यति जैसे ही भोजन करके उठा तो देखा कि रात्रि के दो पहर बीत चुके थे। तभी से इस बालक का नाम 'निंबार्क", यानी निंब (नीम के पेड) पर अर्क (सूर्य) के दर्शन कराने वाला, हो गया।
निम्बार्काचार्य ने ब्रह्मसूत्र, उपनिष्द और गीता पर अपनी टीका लिखकर अपना समग्र दर्शन प्रस्तुत किया। इनकी यह टीका वेदांत पारिजात सौरभ (दसश्लोकी) के नाम से प्रसिद्ध है। इनका मत 'द्वैताद्वैत" या 'भेदाभेद" के नाम से जाना जाता है। आचार्य निम्बार्क के अनुसार जीव, जगत और ब्रह्म में वास्तविक रूप से भेदाभेद संबंध है। निंबार्क इन तीनों के अस्तित्व को उनके स्वभाव, गुण और अभिव्यक्ति के कारण भिन्न (प्रथक) मानते हैं तो तात्विक रूप से एक होने के कारण तीनों को अभिन्न मानते हैं। निम्बार्क के अनुसार उपास्य राधाकृष्ण ही पूर्ण ब्रह्म हैं। सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपनी सुविख्यात पुस्तक 'भारतीय दर्शन" में निंबार्क और उनके वेदांत दर्शन की चर्चा करते हुए लिखा है कि निम्बार्क की दृष्टि में भक्ति का तात्पर्य उपासना न होकर प्रेम अनुराग है। प्रभु सदा अपने अनुरक्त भक्त के हित साधन के लिए प्रस्तुत रहते हैं। भक्तियुक्त कर्म ही ब्रह्मज्ञान प्राप्ति का साधन है। सलेमाबाद (जिला अजमेर) के राधामाधव मंदिर, वृंदावन के निम्बार्क-कोट , नीमगांव (गोवर्धन) सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में निंबार्क जयंती विशेष समारोह पूर्वक मनाई जाती है।

सवारी की तैयारी के कुछ दृश्य





निम्बार्क जयंती २००९ के कुछ दृश्य





मंगलवार, 23 नवंबर 2010

निम्बार्क कोट मंदिर की समय सारणी

शीतकालीन
मंगला आरती सुबह आठ बजे
श्रृंगार आरती सुबह दस बजे
राजभोग दोपहर बारह बजे
राजभोग आरती साढ़े बारह बजे
उत्थापन शाम साढ़े पांच बजे
कथा प्रसंग
संध्या आरती शाम सात बजे
कीर्तन
शयन भोग रात आठ बजे
शयन आरती साढ़े आठ बजे

ग्रीष्मकालीन
आरती सुबह साढ़े छह बजे
श्रृंगार आरती सुबह साढ़े आठ बजे
राजभोग सुबह ग्यारह बजे
राजभोग आरती सुबह साढ़े ग्यारह बजे
उत्थापन शाम छह बजे
कथा प्रसंग
संध्या आरती शाम साढ़े सात बजे
कीर्तन
शयन भोग रात साढ़े आठ बजे
शयन आरती रात नौ बजे

(मंदिर में जब श्रीमद भागवत या रामकथा का आयोजन होगा अथवा उत्सव के दिनों में समय सारणी में कुछ फेरबदल संभव है।)