मंगलवार, 12 अगस्त 2014

संध्या आरती के बाद होने वाला संकीर्तन-2

दोहा

नव-नव रंगि त्रिभंगि जै, स्याम सुअंगी स्याम।
जै राधे जै हरिप्रिये, श्री राधे सुख धाम।।

स्तोत्र

जै राधे जै राधे राधे जै राधे जै श्री राधे।
जै कृष्ण जै कृष्ण कृष्ण जै कृष्ण जै श्री कृष्ण। 1 ।
स्याम गोरी नित्य किसोरी प्रीतम जोरी श्री राधे।
रसिक रसीलो छैल छबीलो गुन गरबीलो श्री कृष्ण। 2 ।
रासविहारनि रसबिसतारनि पिय उर धारनि श्री राधे।
नव-नव रंगी नवल त्रिभंगी स्याम सुअंगी श्री कृष्ण। 3 ।
प्रान पियारी रूप उज्यारी अति सुकुंमारी श्री राधे।
मैंन मनोहर महा मोदकर सुंदर बर तर श्री कृष्ण। 4 ।
सोभा सेंनी मोहा मेंनी कोकिल बेंनी श्री राधे।
कीरतिवंता कामिनिकंता श्री भगवंता श्री कृष्ण। 5 ।
चंदा-वदनी कुंदा रदनी सोभा सदनी श्री राधे।
परम उदारा प्रभा अपारा अति सुकुंवारा श्री कृष्ण। 6 ।
हंसागवनी राजति रवनी क्रीड़ा कवनी श्री राधे।
रूपा रसाला नैंन बिसाला परम कृपाला श्री कृष्ण। 7 ।
कंचनबेली रति रस रेली अति अलबेली श्री राधे।
सब सुख सागर सब गुन आगर रूप उजागर श्री कृष्ण। 8 ।
रवनी रम्या तर तर तम्या गुण आगम्या श्री राधे।
धाम निवासी प्रभा प्रकासी सहज सुहासी श्री कृष्ण। 9 ।
शक्तयाह्लादनि अति प्रियवादनि उर उन्मादनि श्री राधे।
अंग अंग टोना सरस सलोना सुभग सुठोना श्री कृष्ण। 10 ।
राधा नामिनि गुण अभिरामिनि हरिप्रिया स्वामिनि श्री राधे।
हरे हरे हरि हरे हरे हरि हरे हरे हरि श्री कृष्ण। 11 ।

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