निम्बार्क आचार्य वृंद जयंती महोत्सव का 173वां समारोह पारंपरिक रीति-रिवाज और धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शनिवार यानी 19 नवंबर को संपन्न हो गया। उत्सव के दौरान गोपाष्टमी की रात को देश में एक हजार व पांच सौ रुपए के नोट बंद करने का एलान हुआ, इसका उत्सव के आयोजनों पर भी असर पड़ा। निम्बार्क छठी को होने वाले भंडारे में इस बार 50 प्रतिशत की कटौती कर दी गई। पूर्णिमा व सवारी में लोगों की संख्या कम रही। तमाम लोगों ने नोटबंदी के बाद भी पुराने हजार-पांच सौ के नोट भेंट में चढ़ाए। सवारी में दिलचस्प किस्से सामने आए। दो स्थानों पर ऐसे लोगों ने 500-500 रुपए भेंट किए जो पिछले सालों तक केवल 10-20 रुपए की भेंट दिया करते थे। हर कार्यक्रम बिल्कुल तय समय पर संपन्न हुए। अभिषेक शाम 6 बजे हुआ। सवारी 4 बजे निकली। भंडारा एक बजे हुआ। पूर्णिमा की समाज में मुखिया रूपकिशोर दास जी ने रंग जमा दिया, अभिषेक यशोदानंदन मंदिर वाले नत्थीलाल जी के सानिध्य में हुआ। रासलीला के दौरान स्वामी अमीचंद जी कुछ दिन अपनी मंडली लेकर बाहर कार्यक्रम
करने गए, इस दौरान एक दिन स्वामी फतेह कृष्ण जी ने स्वयं हारमोनियम
संभाला। विद्वत सम्मेलन का कार्यक्रम इस बार पहले से ही रद्द था। पूर्णिमा को समाज गायन के उपरांत बुआ की पुस्तक भक्ति संगीत लहरी का गोरेलालजी मंदिर के महंत किशोरदासजी ने लोकार्पण किया। पंचमी को दर्शन सुबह 10 बजे खुले, समाज गायन भी हुआ। कई वर्षों की तुलना में सबसे अच्छा भंडारा हुआ। भंडारे में कटौती का कोई असर नहीं नजर आया। पहली पंगत में ही साढ़े छह सौ लोगों ने बैठकर प्रसाद पाया।
1 टिप्पणी:
I like yours post sir!
May I come to take darshan on any regular day and also let me know that is gopastami any festival is on celebrated here.
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