निम्बार्क कोट , निम्बार्क संप्रदाय से सम्बद्ध वृंदावन में स्थित एक मंदिर है। यह मन्दिर बहुत छोटा होते हुए भी वृन्दावन में अपनी अलग पहचान रखता है। मंदिर के नाम में दो शब्द हैं, निम्बार्क शब्द स्पष्ट है ये आचार्य हैं और कोट माने किला यानी वह किला जहां निम्बार्क विराजमान हों लेकिन यह कोई किला नहीं है एक सामान्य इमारत है। यहाँ निम्बार्क जयन्ती के मौके पर मनाये जाने वाले एक मासीय समारोह की बहुत ख्याति है। यह उत्सव यहाँ सन 1924 से मनाया जा रहा है। सन 1923 तक यह उत्सव प्रेम गली स्थित उत्सव कुंज में मनाया जाता था। वर्ष 2023 में इस उत्सव का 180 वां आयोजन किया गया। इस उत्सव का अतिविशेष आकर्षण है वैष्णव संगीत शैली का समाज गायन।
ब्रज की परंपरा में सभी संप्रदायों में तीन प्रमुख आचार्य हैं-आद्याचार्य जैसे निम्बार्क संप्रदाय के मामले में हंस एवं सनकादिक, प्रवर्तकाचार्य-निम्बार्क भगवान और रसिकोपासनाचार्य हरिव्यासदेवाचार्य। निम्बार्क संप्रदाय में 12 द्वारे हैं, निम्बार्क कोट मंदिर स्वयंभूराम देवाचार्य द्वारे की परंपरा का मंदिर है। हरिव्यास देवाचार्यजी के 12 प्रमुख शिष्यों में स्वयंभूराम देवाचार्य सबसे वरिष्ठ आचार्य हैं। हालांकि इनके गुरुभाई परशुराम देवाचार्य को निम्बार्क संप्रदाय के मुख्य आचार्य पद पर आसीन किया गया। संप्रदाय की मुख्य पीठ सलेमाबाद, किशनगढ़ (राजस्थान) के निम्बार्क तीर्थ में है।
(* निम्बार्क कोट नाम का ही एक मंदिर अजमेर में पृथ्वीराज रोड पर भी है)
(# वृंदावन में हरि शब्द के आचार्य बहुत हुए हैं, तीन तो हरित्रयी कहलाते हैं-स्वामी हरिदास (बांके बिहारी के प्राकट्यकर्ता), हित हरिवंश (राधाबल्लभ के प्राकट्यकर्ता) और हरिराम व्यास (जुगल किशोर के प्राकट्यकर्ता)
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